मर्जर, प्राप्तिबाट हुने लाभ (बार्गेन पर्चेज) र एफपिओको लाभबाट हुने लाभकर अन्तर्गत साढे १२ अर्ब रुपैयाँ राजस्व उठेको छ। ठूला करदाता कार्यालयमा शुक्रबार र शनिबार गरी यस्तो कर करिब साढे १२ अर्ब रुपैयाँ जम्मा गरिएको हो। 
शुक्रबारमात्रै ३० संस्थाले ११ अर्ब ३ करोड यस्तो कर दाखिला गरेका थिए। शनिबार थप ११ संस्थानले एक अर्ब ४४ करोड रुपैयाँ दाखिला गरेका ठूला करदाता कार्यालयका प्रमुख जनक शर्माले बताए। 
४१ वटा संस्थाले नै एफपिओबाट हुने लाभको कर बुझाएका छन् भने तीमध्ये १४ वटा संस्थाले एफपिओ र बार्गेन पर्चेजबाट भएको लाभको कर पनि बुझाएको देखिएको छ।
यी दुवै शीर्षकका कर चालु आर्थिक वर्षदेखि उठाउन थालिएको हो। 
अर्थमन्त्री प्रकाशशरण महतले आर्थिक ऐनको दफा २६ र २७ मा जरिवाना र ब्याज छुटको प्रावधान लिएर यस्तो करमा सहभागी हुनलाई प्रोत्साहन गर्ने नीति लिएका थिए। यसअघि महालेखा परीक्षकको कार्यालयले पटक पटक यस्तो कर उठाउनको लागि सरकारलाई निर्देशन जारी गरे पनि करको अर्थ मन्त्रालय र कर प्रशासन मौन बसेको थियो।
चालु वर्षको आर्थिक ऐनबाट यस्तो व्यवस्था गरिएपछि बैंकरहरूले असन्तुष्टि जनाएर कानुनी उपचारमा गएका थिए। आइपिओ वा एफपिओबाट उठाएको पैसा पुँजी भएको तर लाभ नभएको तथा बार्गेन पर्चेजबाट कर उठाउने व्यवस्था नगरिएको जिकिर गरेका १६ बैंकहरूले हालेको रिट शुक्रबार सर्वोच्च अदालतको संवैधानिक इजलासले खारेज गरेको थियो। योसँगै जरिवाना र ब्याजबाट बच्नको लागि बैंकहरूले शुक्रबार यस्तो कर बुझाउन थालेका थिए।
मंसिर मसान्तसम्म यस्तो रकम दाखिला गरे ब्याज र जरिवाना नलाग्ने सुविधा दिइएको छ। यस कारण कम्पनीहरूलाई शनिबारसम्म यस्तो रकम बुझाइसक्नु पर्ने बाध्यता थियो।
मंसिर मसान्तभित्र कर तिर्दा मर्जर तथा प्राप्तिबाट भएको लाभ र सेयर प्रिमियमबाट भएको लाभको आधारमा मात्रै कर तिरे पुग्छ। ब्याज र जरिवाना तिर्नु पर्दैन। 
कुन संस्थाले कुन शीर्षकमा कति कर बुझाए?
	
		
		
		
	
	
		
			| संस्था | एफपिओ अन्तर्गत बुझाएको कर | बार्गेनपर्चेजको लाभकर | 
		
			| नेपाल एसबिआई बैंक | एक करोड ७७ लाख |  | 
		
			| माछापुच्छ्रे बैंक | पाँच करोड ७६ लाख | चार करोड ५० लाख | 
		
			| कुमारी बैंक | पाँच करोड ८१ लाख |  | 
		
			| प्रभु बैंक | पाँच करोड |  | 
		
			| स्ट्यान्डर्ड चार्टड बैंक | ९१ करोड ३२ लाख |  | 
		
			| सिटीजन बैंक | एक करोड ३९ लाख | ६ करोड ८१ लाख | 
		
			| कामना सेवा विकास बैंक | दुई करोड ६२ लाख |  | 
		
			| एनएमबी बैंक | एक अर्ब ४३ करोड ५१ लाख | ४० करोड ८३ लाख | 
		
			| नेपाल इन्भेष्टमेन्ट बैंक लिमिटेड | एक अर्ब ३६ करोड ३१ लाख | ५२ करोड ८८ लाख | 
		
			| नेपाल इन्भेष्टमेन्ट मेगा बैंक | तीन करोड तीन लाख |  | 
		
			| सानिमा बैंक | पाँच करोड ३७ लाख | एक १६ लाख | 
		
			| सांग्रिला विकास बैंक | एक करोड ६३ लाख |  | 
		
			| लक्ष्मी सनराइज बैंक | १५ करोड ५४ लाख | ११ करोड ५० लाख | 
		
			| नबिल बैंक | १४ करोड ७० लाख | एक अर्ब ४७ करोड सात लाख | 
		
			| हिमालयन बैंक | तीन करोड ६९ लाख | २७ करोड २० लाख | 
		
			| हिमालयन बैंक (साबिकको सिभिल बैंक) | एक करोड नौ लाख |  | 
		
			| प्राइम बैंक | सात करोड ६८ लाख | २० करोड ४१ लाख | 
		
			| एनआइसी एसिया बैंक | १४ करोड ६५ लाख | ३० करोड | 
		
			| एनआइसी एसिया लघुवित्त वित्तीय संस्था | ७३ लाख | ४९ लाख | 
		
			| सिद्धार्थ बैंक | सात करोड ६९ लाख | १४ करोड १४ लाख | 
		
			| ग्लोवल आइएमई बैंक | ३९ करोड ८१ लाख | ९२ करोड ५७ लाख | 
		
			| आरएमडिसी साना किसान विकास बैंक | पाँच करोड १५ लाख |  | 
		
			| मुक्तिनाथ विकास बैंक | चार करोड ५३ लाख | २७ लाख | 
		
			| लुम्बिनी विकास बैंक | ११ करोड २० लाख |  | 
		
			| ज्योति विकास बैंक | २१ लाख |  | 
		
			| गरिमा विकास बैंक | तीन करोड ६ लाख |  | 
		
			| नेपाल बैंक लिमिटेड | ९७ करोड ७२ लाख |  | 
		
			| नेपाल लाइभ इन्सुयुरेन्स | एक अर्ब दुई करोड ६७ लाख |  | 
		
			| नेशनलाइ इन्सुरेन्स | पाँच करोड ६२ लाख |  | 
		
			| लाइफ इन्सुरेन्स नेपाल | १५ करोड |  | 
		
			| सिद्धार्थ प्रिमियर इन्सुरेन्स | एक करोड तीन लाख |  | 
		
			| साबिकको प्रिमियर इन्सुरेन्स | १३ करोड ८१ लाख |  | 
		
			| एनएलआइसी | पाँच करोड |  | 
		
			| नेको इन्सुरेन्स | चार करोड ४८ लाख |  | 
		
			| एनएलजी इन्सुरेन्स | ९० लाख |  | 
		
			| शिखर इन्सुरेन्स | ८ करोड ४३ लाख |  | 
		
			| हिमालयन एभरेष्ट इन्सुरेन्स | ११ हजार |  | 
		
			| आइजिआई प्रडुन्सियल इनसुरेन्स | ८७ लाख |  | 
		
			| साबिको आइएमइ जनरल इन्सुरेन्स | चार करोड ४० लाख |  | 
		
			| सगरमाथा लुम्बिनी इन्सुरेन्स | दुई करोड आठ लाख |  | 
		
			| नेपाल इन्सुरेन्स कम्पनी लिमिटेड | दुई करोड ६८ लाख |  | 
		
			| जम्मा | सात अर्ब ९७ करोड ८७ लाख | चार अर्ब ४९ करोड ८१ लाख | 
	
अब भने यस्तो कारोबार क-कसले गरेका छन् र कर तिरेका छन् वा छैनन् भनेर परीक्षण गर्ने शर्माले बताए।
'यो करको नयाँ आधार पनि हो। मंसिर मसान्तसम्म तिर्नेले जरिवाना र ब्याज छुट पाउनु भएको छ। अब हामी अरू यस्तो कारोबार भएको छ वा छैन हेर्नेछौं,' शर्माले भने।