नाफा र वितरणयोग्य नाफा:
तेस्रो त्रैमासिक वित्तीय विवरणअनुसार २८ बैंकहरुले कुल १६ अर्ब १७ करोड खुद नाफा कमाएका छन्। त्यसमा आधाभन्दा बढी अर्थात ५१. ७ प्रतिशत हिस्सा टप टेनमा परेका बैंकहरुले नै ओगटेका छन्।
बैंकहरुको वितरणयोग्य नाफा भने ८ अर्ब २६ करोड मात्रै छ। वितरणयोग्य नाफामा टप टेनमा परेका बैंकहरुको हिस्सा भने ६२. ७ प्रतिशत छ।
पहिलो त्रैमासिक वित्तीय विवरणअनुसार नाफा र वितरणयोग्य नाफा दुवैका आधारमा राष्ट्रिय वाणिज्य बैंक सबैभन्दा अगाडि छ।
पूर्ण सरकारी स्वामित्वमा रहेको राष्ट्रिय वाणिज्य बैंक नाफासहित अन्य धेरै शिर्षकमा अब्बल देखिएको छ।
नाफामा टप टेन बैंक
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नाफा (रुपैयाँमा)
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वितरणयोग्य नाफामा टप टेन बैंक
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वितरणयोग्य नाफा (रुपैयाँमा)
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राष्ट्रिय वाणिज्य
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१ अर्ब १२ करोड
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राष्ट्रिय वाणिज्य
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१ अर्ब ३० करोड
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नविल
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१ अर्ब १२ करोड
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नविल
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७४ करोड २२ लाख
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एनआइसी एसिया
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१ अर्ब ९६ लाख
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एनएमबि
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५३ करोड ६१ लाख
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इन्भेष्टमेन्ट
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८४ करोड ४४ लाख
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स्टान्डर्ड चार्टड
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४९ करोड ४ लाख
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एनएमबि
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८१ करोड ५१ लाख
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एनआइसी एसिया
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४४ करोड ८४ लाख
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ग्लोबल आइएमई
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७५ करोड ३१ लाख
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इन्भेष्टमेन्ट
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४२ करोड ३७ लाख
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हिमालयन
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६९ करोड ४२ लाख
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मेगा
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३२ करोड ५६ लाख
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एभरेष्ट
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६९ करोड ८ लाख
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एसबिआई
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३१ करोड ९१ लाख
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प्राइम कमर्सियल
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६५ करोड ९७ लाख
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एभरेष्ट
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३० करोड ८४ लाख
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स्टान्डर्ड चार्टड
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६४ करोड ४१ लाख
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ग्लोबल आइएमई
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२८ करोड ११ लाख
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निक्षेप संकलन र कर्जा प्रवाह:
२८ बैंकहरुले असोज मसान्तसम्म कुल २८ खर्ब ७७ अर्ब सर्वसाधारणको बचत (निक्षेप) रकम संकलन गरेका छन्। भने २६ खर्ब १९ अर्ब कर्जा परिचालन गरेका छन्।
निक्षेपका आधारमा टप टेनमा परेका बैंकहरुको हिस्सा ४९. ८ प्रतिशत छ भने कर्जाका आधारमा ४८. ३ प्रतिशत छ। ति सबै बैंकको कर्जा प्रवाह १ खर्ब नाघेको छ।
निक्षेपमा टप टेन बैंक
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निक्षेप (रुपैयाँमा)
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कर्जामा टप टेन बैंक
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कर्जा (रुपैयाँमा)
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राष्ट्रिय वाणिज्य
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१ खर्ब ८७ अर्ब
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एनआइसी एसिया
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१ खर्ब ६२ अर्ब
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एनआइसी एसिया
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१ खर्ब ७९ अर्ब
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राष्ट्रिय वाणिज्य
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१ खर्ब ४७ अर्ब
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नविल
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१ खर्ब ७२ अर्ब
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नविल
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१ खर्ब ४१ अर्ब
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इन्भेष्टमेन्ट
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१ खर्ब ५१ अर्ब
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इन्भेष्टमेन्ट
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१ खर्ब ३४ अर्ब
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एभरेष्ट
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१ खर्ब ३४ अर्ब
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ग्लोबल आइएमई
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१ खर्ब २२ अर्ब
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ग्लोबल आइएमई
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१ खर्ब २८ अर्ब
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एभरेष्ट
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१ खर्ब १६ अर्ब
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कृषि विकास
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१ खर्ब २३ अर्ब
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एनएमबि
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१ खर्ब १४ अर्ब
|
एनएमबि
|
१ खर्ब २१ अर्ब
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कृषि विकास
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१ खर्ब १२ अर्ब
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सिद्धार्थ
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१ खर्ब १८ अर्ब
|
सिद्धार्थ
|
१ खर्ब १२ अर्ब
|
हिमालयन
|
१ खर्ब १५ अर्ब
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हिमालयन
|
१ खर्ब २ अर्ब
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निश्क्रिय कर्जा (एनपिएल) र सिसिडी रेसियो:
नन पफर्मिङ लोन (एनपिएल) अर्थात निश्क्रिय कर्जा सबैभन्दा कम हुनुलाई राम्रो मानिन्छ। बैंकले प्रवाह गरेको ऋणमध्ये नियमित उठ्न नसकेको हिस्सालाई निश्क्रिय कर्जाले प्रतिशतमा जनाउँछ।
निश्क्रिय कर्जा धेरै हुनु भनेको सम्वन्धित बैंकले ऋण तिर्ने क्षमता नभएका ऋणी छनौट गर्नु भन्ने बुझिन्छ। एनपिएल वास्तवमा संचालकको इमान्दारिता, व्यवस्थापकीय क्षमताको सांकेतिक रुप पनि हो। २८ बैंकहरुको औसत निश्क्रिय कर्जा १. ५६ प्रतिशत छ।
त्यस्तै सिसिडी रेसियाले प्राप्त स्रोतबाट थप कर्जा लगानी गर्न सक्ने क्षमतालाई जनाउँछ। प्राथमिक पुँजी र संकलित निक्षेपबाट ८० प्रतिशतसम्म कर्जा प्रवाह गर्न पाउने व्यवस्था छ।
यस्तो दर थोरै हुनुले निक्षेप संकलन नहुँदा पनि बैंकले थप लगानी गर्न सक्छन् भन्ने जनाउँछ। २८ बैंकको औसत सिसिडी रेसियो ७६. ४ प्रतिशत ४ प्रतिशत छ।
कम एनपिएलमा टप टेन बैंक
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एनपिएल दर (प्रतिशतमा)
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कम सिसिडी रेसियोमा टप टेन बैंक
|
सिसिडी रेसियो
|
एभरेष्ट
|
०. १७
|
नेपाल बैंक
|
६८. ६३
|
एसबिआई
|
०. १७
|
स्टान्डर्ड चार्टड
|
६९. ९३
|
स्टान्डर्ड चार्टड
|
०. १८
|
कृषि विकास
|
७१. ४२
|
सानिमा
|
०. २४
|
राष्ट्रिय वाणिज्य
|
७१. ९७
|
मछापुच्छ्रे
|
०. ३१
|
नविल
|
७४. ०९
|
एनआइसी एसिया
|
०. ४५
|
एभरेष्ट
|
७४. ८९
|
नविल
|
०. ६५
|
हिमालयन
|
७४. ९८
|
ग्लोबल आइएमई
|
०. ८५
|
बैंक अफ काठमाण्डु
|
७५. ५९
|
सिटिजन्स
|
०. ९८
|
इन्भेष्टमेन्ट
|
७५. ६२
|
लक्ष्मी
|
१. ०४
|
बंगलादेश
|
७५. ७३
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आधार दर, शाखा संख्या:
आधार दर यस्तो न्यूनतम दर हो, जुन दरभन्दा कममा बैंकहरुले कर्जा प्रवाह गर्दैनन्। कर्जा निर्धारणका लागि समेत यो दर महत्वपूर्ण हुन्छ। यही आधार दरमा केही प्रिमियम जोडेर बैंकहरुले ऋणीका लागि व्याजदर तय गरिदिन्छन्।
ग्राहकलाई दिने व्याजदर, प्रशासनिक लागत लगायत हिसाव गरी यो दर तय गरिन्छ। प्रिमियम दर एउटै भएको अवस्थामा आधार दर कम हुनु भनेको ग्राहकलाई कम व्याजदरमा ऋण दिन सक्नु भन्ने बुझिन्छ। २८ बैंकको औसत आधार दर ९. ८ प्रतिशत छ।
त्यस्तै असोज मसान्तसम्म २८ वाणिज्य बैंकहरुको कुल शाखा संख्या ३ हजार ८८४ पुगेको छ। ग्लोबल आइएमईसँग मर्जमा जान लागेको जनता बैंकको लाइसेन्स छिट्टै खारेजको चरणमा रहेकाले वाणिज्य बैंकको संख्या २७ मा झर्नेछ।
कम आधार दरमा टप टेन
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आधार दर (प्रतिशतमा)
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धेरै शाखामा टप टेन बैंक
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शाखा संख्या
|
राष्ट्रिय वाणिज्य
|
६. ६०
|
एनआइसी एसिया
|
३१०
|
स्टान्डर्ड चार्टड
|
७. ६३
|
कृषि विकास
|
२७४
|
नेपाल
|
७. ८४
|
राष्ट्रिय वाणिज्य
|
२७१
|
नविल
|
७. ९४
|
प्रभु
|
१९६
|
इन्भेष्टमेन्ट
|
८. ४८
|
नेपाल
|
१८१
|
एभरेष्ट
|
८. ५२
|
सिद्धार्थ
|
१७३
|
हिमालयन
|
८. ९३
|
ग्लोबल आइएमई
|
१५०
|
सानिमा
|
९. २१
|
माछापुच्छ्रे
|
१४४
|
प्रभु
|
९. २४
|
जनता
|
१४३
|
ग्लोबल आइएमई
|
९. ४४
|
मेगा÷सनराइज
|
१३१
|
इपिएस, आरओई
यी दुवै सूचक सेयर लगानीकर्ताका लागि महत्वपूर्ण छन्। इपिएस अर्थात प्रतिसेयर आम्दानीले चुक्ता पुँजीमध्येको एक सेयर बराबर कम्पनीले गरेको आम्दानीलाई जनाउँछ। खुद आम्दानीलाई चुक्ता सेयर संख्याले भाग गरेर इपिएस निकालिन्छ।
त्यस्तै एक कित्ता सेयरमा भएको लगानीले उत्पादन गर्ने प्रतिफललाई रिटर्न अन इक्वीटी (आरओई)ले जनाउँछ। अग्राधिकार सेयरधनीलाई लाभांश दिइसकेपछि साधारण सेयरधनीलाई दिनुअघिको आम्दानीलाई कम्पनीको चुक्ता पुँजीको सुरुआती मूल्यले भाग गरेर आरओई निकालिन्छ।
यी दुवै सूचक धेरै भएका बैंक लगानीका लागि उपयुक्त हुन्छन्।
इपिएसमा टप टेन बैंक
|
आधार इपिएस
|
आरओईमा टप टेन बैंक
|
आरओई
|
नविल
|
४८. ९३
|
एनआइसी एसिया
|
२९. ०२
|
एनआइसी एसिया
|
४०. ७३
|
सानिमा
|
२१. ३९
|
एभरेष्ट
|
३४.४३
|
नविल
|
१९. ३५
|
हिमालयन
|
३२. ५९
|
राष्ट्रिय वाणिज्य
|
१९. ०३
|
एनएमबि
|
३२. ५१
|
प्राइम
|
१८. ६३
|
स्टान्डर्ड चार्टड
|
३२. १६
|
ग्लोबल आइएमई
|
१८. २१
|
ग्लोबल आइएमई
|
२८. ८७
|
प्रभु
|
१७. ६६
|
प्रभु
|
२८. २७
|
हिमालयन
|
१७. ३७
|
प्राइम
|
२७. २४
|
स्टान्डर्ड चार्टड
|
१७. २८
|
सानिमा
|
२६. ४७
|
एनएमबि
|
१६. १३
|